माँ होना कठिन होता है| आंट्रेप्रेनुर होना भी उतना ही कठिन होता है|

सबसे बड़ी चुनौति तो माँ और एक सफल आंट्रेप्रेनुर दोनों होना है!

मुंबई: मातृ दिवस के अवसर पर किडझेनिया मुंबई ने मॉमप्रेनर (माँ- उद्यमी) सर्कल की साझेदारी के साथ माँ- परिषद (मॉमी झूमिट) 2022 का आयोजन किया था| पैनल की चर्चा “द रोड लेस टेकन” इस विषय पर थी और फाल्कॉन पीडीडी की निदेशिका स्नेहा विसारिया, जोऊक की संस्थापिका दिशा सिंह, ग्यनोवेदा की सह- संस्थापिका रचना गुप्ता, पोस्टनेटल फिटनेस ट्रेनर और कांगा प्रशिक्षण में देश की अग्रणि होनेवाली पूजा पाटील जांबोतकर जैसी हस्तियों ने इसमें सहभाग लिया| मशहूर एनएलपी प्रॅक्टीशनर/ मोटीवेशनल स्पीकर और कंटेंट क्रिएटर वनिता रावत ने इस चर्चा का सूत्र सम्भाला| वह इस झूमिट के मुख्य वक्ताओं में से भी एक थी|

प्रचलित जेंडर नियम, महिलाओं की ऑटोनॉमी, आत्मविश्वास और समाज में भागीदारी, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति आदि विषयों पर पैनल में चर्चा हुई| सभी माननीय वक्ताओं ने अपने अनुभव शेअर किए और अपनी यात्रा श्रोता गण के सामने रखी जिससे उन्हे बहुत प्रेरणा मिली|

महिला आंट्रेप्रेनुर के लिए होनेवाली व्यवस्था पर ध्यान आकर्षित करते हुए वनिता ने चर्चा को आगे बढ़ाया और अपारंपरिक दृष्टिकोण, क्रिएटीविटी, प्रतिभा, इनोवेशन्स, साहस और विचारधारा आदि से जुड़े परिणामों पर भाष्य किया|

उन्होने आत्मविश्वास की छलाँग का महत्त्व अधोरेखित किया| अपने में भरोसा करना और जोखीम उठाना, माँ होने के अपराध भाव से दूर रहना और आगे की यात्रा के बारे में सोचना इन बातों पर भी चर्चा की।

इस पूरी झूमिट में ऊर्जा का स्तर अविश्वसनीय था और वेन्यू में कई माँ- उद्यमियाँ (मॉमप्रेनर्स) थी जो कई संकुचित काँच की दीवार को तोड़ रही हैं और इस पथ पर आगे आनेवाली अनेक महिलाओं के लिए मापदण्ड स्थापित कर रही हैं|

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